Durga Saptashati Path Poojan Method (दुर्गा सप्तशती पाठ पूजन विधि)

Durga Saptashati Path Poojan Method

श्री दुर्गासप्तशती पाठ करना

नवरात्रिकी कालावधिमें देवीपूजनके साथ उपासनास्वरूप देवीके स्तोत्र, सहस्रनाम, देवीमाहात्म्य इत्यादि के यथाशक्ति पाठ और पाठसमाप्तिके दिन विशेष रूपसे हवन करते हैं । श्री दुर्गाजीका एक नाम ‘चंडी’ भी है ।

मार्कंडेय पुराणमें इसी देवीचंडीका माहात्म्य बताया है । उसमें देवीके विविध रूपों एवं पराक्रमोंका विस्तारसे वर्णन किया गया है । इसमेंसे सात सौ श्लोक एकत्रित कर देवी उपासनाके लिए `श्री दुर्गा सप्तशती’ नामक ग्रंथ बनाया गया है । सुख, लाभ, जय इत्यादि कामनाओंकी पूर्तिके लिए सप्तशतीपाठ करनेका महत्त्व बताया गया है ।

शारदीय नवरात्रिमें यह पाठ विशेष रूपसे करते हैं । कुछ घरोंमें पाठ करनेकी कुलपरंपरा ही है । पाठ करनेके उपरांत हवन भी किया जाता है । इस पूरे विधानको `चंडीविधान’ कहते हैं । संख्याके अनुसार नवचंडी, शतचंडी, सहस्रचंडी, लक्षचंडी ऐसे चंडीविधान बताए गए हैं । प्राय: लोग नवरात्रिके नौ दिनोंमें प्रतिदिन एक-एक पाठ करते हैं ।

श्री दुर्गा सप्तशती पाठ बहुत महत्वपूर्ण होते हैं और बहुत फलकारी होते हैं। तो शारदीय नवरात्रों में दुर्गा सप्तशती का पाठ आप कैसे करेंगे इसकी पूरी जानकारी आपको देने जा रहे है। उस के क्या नियम है? हमें किस तरीके से पाठ करना चाहिए? कैसे हमें विभक्त करना चाहिए? कैसे हमे इन तेरा अध्याय को बांटना चाहिए। पाठ हमें रोज़ कैसे करना चाहिए। कैसे हमें मंत्रों से संपूर्ण करना चाहिए? श्री दुर्गा सप्तशती पाठ को शापोद्धार विधि क्या होगी? कैसे हम श्री दुर्गा सप्तशती पाठ को इन नवरात्रों में खत्म करें? आइये जानते है।

दुर्गा सप्तशती पाठ की संपूर्ण विधि

दोस्तों संपूर्ण पाठ विधि जो होती है, कि आप एक मंत्र को विशेष मंत्र जो आप करना चाहते हैं किसी विशेष प्रयोजन के लिए उससे आगे और पीछे लगाकर संपूर्ण करें। इससे क्या होता है, समय बहुत ज्यादा लगता है।

दुर्गा सप्तशती किताब में बहुत सारे मंत्र दिए हुए हैं। आप वहाँ से ले सकते हैं। अगर आप चाहे तो अगर आपको ज्यादा मंत्र नहीं कर सकते, तो जो एक बीज मंत्र है, माँ का जैसे ॐ दुं दुर्गाय नम:। या ॐ दुर्गाये नम: इन छोटे-छोटे मंत्रों से आप पाठ संपूर्ण कर सकते हैं।

दुर्गा सप्तशती का पाठ कितने दिन में पूरा करना चाहिए?

वाकार विधि:

प्रथम दिन एक पाठ प्रथम अध्याय, दूसरे दिन दो पाठ द्वितीय, तृतीय अध्याय, तीसरे दिन एक पाठ चतुर्थ अध्याय, चौथे दिन चार पाठ पंचम, षष्ठ, सप्तम व अष्टम अध्याय, पांचवें दिन दो अध्यायों का पाठ नवम, दशम अध्याय, छठे दिन ग्यारहवां अध्याय, सातवें दिन दो पाठ द्वादश एवं त्रयोदश अध्याय करके एक आवृति सप्तशती की होती है।

अभी आप 13 अध्याय को किस तरह बाटेंगे? पाठ आप 7 दिन तक करेंगे, अगर आप एक दिन में इन 13 अध्याय यानी तीनो चरित्रों का पाठ नहीं कर पाते हैं, तो आपको

1.         

प्रथम दिन

प्रथम अध्याय

2.         

दूसरे दिन दो, पाठ

द्वितीय और तृतीय अध्याय

3.         

तीसरे दिन एक पाठ

चतुर्थी अध्याय

4.         

चौथे दिन आपको अध्याय के चार पाठ

षष्टम, सप्तम और अष्टम अध्याय

5.         

पांचवें दिन दो अध्याय

नवम और दशम अध्याय

6.         

छठे दिन

ग्यारहवां अध्याय

7.         

सातवें और

आपको दो पाठ यानी की 12 वां और 13 वां अध्याय।

8.         

आखिरी दिन

इसके बाद एक आवृति सप्तशती की पूरी हो जाती है।

 

संपुट पाठ विधि:

किसी विशेष प्रयोजन हेतु विशेष मंत्र से एक बार ऊपर तथा एक नीचे बांधना उदाहरण हेतु संपुट मंत्र मूलमंत्र-1, संपुट मंत्र फिर मूलमंत्र अंत में पुनः संपुट मंत्र आदि इस विधि में समय अधिक लगता है। लेकिन यह अतिफलदायी है। अच्छा यह होगा कि आप संपुट के रूप में अर्गला स्तोत्र का कोई मंत्र ले लीजिए। या कोई बीज मंत्र जैसे ऊं श्रीं ह्रीं क्लीं दुर्गायै नम: ले लें या ऊं दुर्गायै नम: से भी पाठ कर सकते हैं।

तो इस तरीके से आप 7 दिन में जो 13 अध्याय है, वो विधिपूर्वक कर सकते हैं। उसके बाद आठवें दिन कन्या पूजन जरूरी बताया गया है। श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ, कवच, अर्गला और किलक तीन रहस्यों को भी सम्मिलित इसमें करना चाहिए। श्री दुर्गा सप्तशती पाठ के बाद आपको हर दिन क्षमा प्रार्थना जरूर करनी चाहिए।

नवरात्र पूजा विधि

1). सर्वप्रथम- देवी भगवती को प्रतिष्ठापित करें।

2). कलश स्थापना करें – घट स्थापना विधि आपको बताई, अगर आप घटस्थापना नहीं करते हैं, और आप चाहते हैं, कि आप इन नवरात्रों में सिर्फ और सिर्फ श्री दुर्गा सप्तशती का ही पाठ करें, तो इसके लिए भी आपको एक कलश की स्थापना कर लेनी चाहिए

3). अखंड ज्योत – दीप प्रज्ज्जवलन करें। ( अखंड ज्योति जलाएं यदि आप जलाते हों या जलाना चाहते हों) आपको दीप प्रज्वलन जरूर करना चाहिए। आप अखंड ज्योत जलाये या ना जलाये। जब तक आप पाठ कर रहे हो, तब तक एक दीप प्रज्वलित कर जरूर रखें।

4). ध्यान- सर्वप्रथम अपने गुरू का ध्यान करिए। उसके बाद माँ का ध्यान करें और किसी भी ध्यान में अपने गुरु अपने आचार्य का ध्यान करना अति आवश्यक है। उसके बाद गणपति का ध्यान करें, भगवान शंकर का ध्यान करें, भगवान विष्णु और हनुमानजी, नवग्रह देवताओं का ध्यान करके आप श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ प्रारंभ करने का संकल्प ले ।

4). संकल्प – पांच विधि में आपको संकल्प लेना चाहिए। जो भी आपको संकल्प लेना है, वो मन में आप पहले दिन ही ले लीजिए और संकल्प करने के बाद माँ की धूप, दीप, नैवेद्य आदि के साथ आप पूजा प्रारंभ करें। दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले गणपति और तमाम देवी देवताओं का संकल्प कीजिए। श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले भगवान गणपति, शंकर जी का ध्यान करिए। उसके बाद हाथ में जौ, चावल और दक्षिणा रखकर देवी भगवती का ध्यान करिए और संकल्प लीजिए…हे भगवती मैं…..( अमुक नाम)….सपरिवार…( अपने परिवार के नाम ले लीजिए…)…गोत्र.( अमुक गोत्र)….स्थान ( जहां रह रहे हैं)… पूरी निष्ठा, समर्पण और भक्ति के साथ आपका ध्यान कर रहा हूं। हे भगवती आप हमारे घर में आगमन करिए और हमारी इस मनोकामना… ( मनोकामना बोलें लेकिन मन ही मन) को पूरा करिए। श्रीदुर्गा सप्तशती के पाठ, जप ( माला का उतना ही संकल्प करें जितनी नौ दिन कर सकें) और यज्ञादि को मेरे स्वीकार करिए। इसके बाद धूप, दीप, नैवेज्ञ के साथ भगवती की पूजा प्रारम्भ करें।

आप ये कहें – कि पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ मैं आपकी भक्ति और ध्यान में हूँ। आप हमारे घर में पधारे और जो भी हमारी मनोकामना है, उसको आप मन ही मन बोलकर आप उस जल को जमीन पर छोड़ सकते हैं।

पाठ विधि – इसके बाद आपको श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए। आप यह संकल्प लें कि आप 13 अध्याय का सात दिनों में पाठ करेंगे, या आप हर दिन पूरा पाठ करेंगे।

। श्री दुर्गासप्तशती पाठमें देवीमांके विविध रूपोंको वंदन किया गया है । नवरात्रिमें यथाशक्ति श्री दुर्गासप्तशतीपाठ करते हैं । पाठके उपरांत पोथीपर फूल अर्पित करते हैं ।  उसके उपरांत पोथीकी आरती करते हैं

पाठ करनेकी पद्धति

  • पाठ करते समय प्रथम आचमन करते हैं ।
  • तदउपरांत पोथीका पूजन करते है ।
  • अब श्रीदुर्गासप्तशतीका पठन करते हैं ।
  • पाठके उपरांत पोथीपर पुष्प अर्पित करते हैं ।
  • उपरांत आरती करते हैं ।

दुर्गा सप्तशती पाठ पूजन विधि मे कोई त्रुटि हो तो अवगत करे। 

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